हिंदू धर्म में "षोडश संस्कार" (१६ संस्कार)
16 संस्कार को मानव जीवन के विभिन्न महत्वपूर्ण चरणों में किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान माना गया है। ये संस्कार जीवन को शुद्ध, अनुशासित और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए हैं। नीचे हर एक संस्कार का संक्षिप्त वर्णन दिया गया है:
1. गर्भाधान संस्कार (Conception)
- अर्थ: यह संस्कार संतान की उत्पत्ति की शुद्ध और शुभ शुरुआत के लिए होता है।
- समय: विवाह के बाद, जब दंपत्ति संतान की योजना बनाते हैं।
2. पुंसवन संस्कार (Foetus Gender Ritual)
- अर्थ: गर्भ ठहरने के बाद किया जाने वाला संस्कार जिससे अच्छे स्वास्थ्य और गुणों वाला संतान उत्पन्न हो।
- समय: गर्भ ठहरने के तीसरे महीने में।
3. सीमन्तोन्नयन संस्कार (Baby Shower)
- अर्थ: गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु के मानसिक विकास के लिए किया जाता है। इसमें मां के मन को प्रसन्न रखने पर बल दिया जाता है।
- समय: गर्भ के छठे या आठवें महीने में।
4. जातकर्म संस्कार (Birth Ritual)
- अर्थ: शिशु के जन्म के तुरंत बाद उसका स्वागत, नामकरण और स्तनपान से पहले किए जाने वाले मंत्रोच्चारण।
- विशेष: यह संस्कार शिशु को धार्मिक चेतना से जोड़ता है।
5. नामकरण संस्कार (Naming Ceremony)
- अर्थ: शिशु का नाम रखा जाता है।
- समय: जन्म के 11वें, 12वें या 21वें दिन।
6. निष्क्रमण संस्कार (First Outing)
- अर्थ: बच्चे को पहली बार घर से बाहर, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा के दर्शन के लिए ले जाना।
- समय: जन्म के तीसरे या चौथे महीने में।
7. अन्नप्राशन संस्कार (First Solid Food)
- अर्थ: शिशु को पहली बार अन्न (चावल आदि) खिलाया जाता है।
- समय: 6वें महीने में।
8. चूड़ाकर्म संस्कार (Mundan)
- अर्थ: बच्चे का पहला मुंडन (बाल उतारना) किया जाता है जिससे शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है।
- समय: 1 से 3 वर्ष की आयु में।
9. कर्णवेध संस्कार (Ear Piercing)
- अर्थ: दोनों कान छेदन करना। यह शारीरिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक चेतना के लिए माना जाता है।
- समय: 1 से 3 वर्ष की उम्र में।
10. विद्यारम्भ संस्कार (Beginning of Education)
- अर्थ: बच्चे की शिक्षा का प्रारंभ। अक्षर ज्ञान या गुरु से प्रथम मंत्र लेना।
- समय: लगभग 5 वर्ष की उम्र में।
11. उपनयन संस्कार (Sacred Thread Ceremony)
- अर्थ: यज्ञोपवीत संस्कार, जिससे बालक को वेदाध्ययन और ब्रह्मचर्य जीवन में प्रवेश कराया जाता है।
- समय: 7 से 8 वर्ष की आयु में।
12. वेदारम्भ संस्कार (Beginning of Vedic Studies)
- अर्थ: गुरु से वेदों, शास्त्रों और ज्ञान की विधिवत पढ़ाई का आरंभ।
- समय: उपनयन के तुरंत बाद।
13. केशान्त या समावर्तन संस्कार (Graduation)
- अर्थ: विद्या समाप्ति के बाद स्नातक समारोह। बाल काटना और गृहस्थ जीवन में प्रवेश की तैयारी।
- समय: 16-24 वर्ष की उम्र के आसपास।
14. विवाह संस्कार (Marriage)
- अर्थ: दो व्यक्तियों का सामाजिक, धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से मिलन। यह गृहस्थ आश्रम की शुरुआत है।
15. वनप्रस्थ संस्कार (Retirement from Householder Duties)
- अर्थ: गृहस्थ जीवन से निवृत्ति लेकर साधु जीवन की तैयारी करना। सांसारिक जिम्मेदारियों से दूरी बनाना।
16. संन्यास संस्कार (Renunciation)
- अर्थ: पूर्ण वैराग्य और मोक्ष प्राप्ति हेतु संन्यासी जीवन की दीक्षा लेना। आत्मा की मुक्ति की दिशा में अंतिम कदम।